आँउ: ’भा चाँउँ, यार हाणे त हध थिएती भला’.
चाँउँ: ’को वरी कुरो थ्यो’?
आँउ: ’यार पाँ उन दिं काग मथे गाल्युं कंधा हुआसीं न से मुँके लगेतो ’कच्छी माडु’वारा सुणी व्या ने पिंढजी साईटते ’काग’ वाणीजे नाले छापे छद्यों. ई त हध थई वई भला’.
चाँउँ: ’चेंता भीतीएंके प कन हुएं ता’.
आँउ: ’हा ई गाल त सच्ची प हेडां त वडजो ओटो आय भीत्युँ केडां अईं? मुँके लगेतो ई म़डे कागडेजा कम अईं. विञींने पियुष के चई आयो. कागडो केंके चोवाजे’?
चाँउँ: ’हा पण तेंजो कुरो? तुं कुलाय एतरो हूशरो करीएंतो’?
आँउ: मुंके लगेतो काग वाणी जो ई लेख दिग्विजयसिंह वांचेने कागवारे विनोद रायते हुमलो क्यों, एडा समाचार अञ झी टी.वी. ते सुआ. यार विनोद राय गमे एडो माडु हुए, लोकशाईमें एडी मारकुट केंणी दिग्विजयसिंह जेडे दिग्गज माडुके शोभे नती’.