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Posts from ‘July, 2017’

लिखेल डिस

मालकजा तुं ही खेल डिस
कित भुंगा कित मेल डिस
पंज माड़जी अंइ मेणियुं
कितक घर नं प जेल डिस
कित मिट्टीजा माटी माटला
कितक त्रांमेजी हेल डिस
केंजा अगड़ी वारा लुगड़ा
केंजा त भरत भरेल डिस
केंजी लुडेती फांध अगिया
केंजीक सटुकड़ी चेल डिस
कोक हलेता पगे उघाडा
केंजीक माफारी वेल डिस
कोक डिसजे सुजाग बोरा
कोक गाभा कां गाफेल डिस
किते कागडेजो किकराट वे
कितक मोर भेरी ढेल डिस
कितक खावजे घे से केला
कोक सिकें टीपो तेल डिस
लिखधा रो त घणे लखाजे
‘धुफारी’जी ही लिखेल डिस
Reference: Kachchhi.wordpress.com

कच्छी भासा अतरे

कच्छी भासा अतरे……?
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ऋक्क जेड़ी नक्कर सक्कर जेड़ी सीरीवारी,
अक्कड़ अनोखी अति गति रामबाणजी,
कुछेमें कड़क कच्छी पाणीजे कड़ाके वारी,
विजजे वराके जेड़ी जोत जिंधजानजी,
ताजी घोड़ो छुटे तुटे तोपजो गलोलो तेड़ी,
“काराणी” चे चोट कच्छी वाणीजी कमानजी

:कवि काराणी

अधा जो आशरो

*हो अधा जो आशरो*
*ने छांइ बाइ जे छाल जी..*
*हो जानी जींयण ऊ सचो*
*चिंधा न हुइ काल जी..*