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Posts under ‘General’

मिणींके शुभ नवरात्री ! शुभ दशेरा!

Matajo madh Live
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जय माताजी !

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभेतेषु चेतनेत्यभिधीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु छायारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

यादेवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

Navratri Vrat Recipes —————————-

http://idiva.com/photogallery-ifood/12-vrat-special-recipes-to-prep-for-navratri/32381

छिले प्यो !

छिले प्यो !

माडी कींक एड़ो कर, हमीरसर छिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें , ई खिले प्यो.

मीं वसेतो ओण, मूंजे वतन तें लज छडे,
लपई चुल तें चडे, वधाई डेती तडें.

कडेंक वोक-वे तें, हि सरोवर टिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.

नातो ईनसें आय, मूंजो जनमो जनमजो,
डंको वजेतो भुजमें जलदेवता-धरमजૉ.

पंज नाका ने छठ्ठी बारी तें, ई मिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.

धिलसें वलो भुजवासीएं के ,हि तरा,
ज मीं राजी होय त भले नें पें धोरा करा.

छतेडी तें विठो वे ,पग पखारे हिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.

*** -कृष्णकांत भाटिया ‘कान्त’

भा भेण

भा भेणजो ( राखड़़ी पूनम)

नातो वडो धुनीआमें, भा भेणजो वेंतो
कचे सूतर तंधेमें, रिख्याजो बर वेंतो
निंगरी निढेथे वडी थै, वै पिन्ढजे घरे
भा जी चिंधा जिंधमें,रिख्याजो बर वेंतो
हथ लगे भेणजो, तडॅ भा धिलमें मुरकेतो
धुवा भराजें कांढेमें,रिख्याजो बर वेंतो
भारतजी संस्कृतिमें,भा धोड़े भेणजी वारे
सबंध कचे डोरेमें,रिख्याजो बर वेंतो
कांत भागसाड़़ी उ अईं, अची भेणुं खिले
प्रेम न जोखीए पलेमें, रिख्याजो बर वेंतो

रिख्या= रक्षा
: कांत

प्रेम करियुं

गझल

हलो हाणे खिल सें प्रेम करियुं,
फूड छडयो,धिल सें प्रेम करियुं.

वडर नतो वसे, सिकाय प्यो पे,
पन तें विठी, विल सें प्रेम करियुं

मानी मिठी लगधी सकर जॅड़ी,
कढयो सट , मुल सें प्रेम करियुं.

तावडी तपेती तडे,मानी पचेती,
गाल सची, चुलसें प्रेम करियुं.

खिलेंता नें रभ जे पगेंमेँ छणेता,
खुसभू डींधल, फुलसें प्रेम करियुं.

-कृष्णकांत भाटिया ‘कान्त ‘

साल मुबारक ! शुभ असाढी बीज !

Kutchi New Year 2020 Kachchhi

कच्छमे मीं जी एंटरी

कच्छडो

कच्छडो
———
डेहमें तूं अइंयॅं विठो
डेवॅके मूं तॉमें डिठो
कच्छडा वला तूं मूंके
मा जितरोज अइंयॅं मिठो
डेहमें तूं….
धरीया भेरो धॉडे कच्छडो
रिणमें प रमेतो कच्छडो
खेतरेंजे खॉरेमें करेतो
खिल खिल मिठो कच्छडो
डेहमें तूं….
कुल मूंजो कच्छडो आय
जात मूंजी कच्छीज आय
कच्छी थिइने जनमां कायम
अरधास मूंजे मनजी आय
डेहमें तूं….
कच्छीमेंज कुछणूं आय
कच्छीमेंज लिखणूं आय
वखांण तॉजे नांजो कच्छडा
कच्छीमेंज वांचणूं आय
डेहमें तूं….
जगके कच्छडेसें मिलायूं
परडेसेंमें कच्छी गालायूं
मिठडी पांजी बूली कच्छी
हलॉ सजे जगके सुणाइयूं
डेहमें तूं….
धींगो धिलावर तॉजो धिल
केसरीया कच्छडा कसूंभल
कच्छडा तूं तां बारइमास
“अमृत”किंता अइंयें अमीयल
डेहमें तूं…..
अमृताबा डी.जाडेजा-तुंबडी.

मिणींके हॅप्पी हॉरी

Serene Sunsets -Kutch Bhuj 2020

सोख डोख

सोख डोख

सोखने डोख बोंय
अइ धोस्तार,
माडुयेंजे जीयणजा
इ अंइ आधार

हिकड़ो विञे सडा
ब्यो हाजर वे,
एडो प इनीमें
थ्यो आय करार

हीं नेर्यो त बींजा
भाग प सरखा,
इनीमें भागजी कींं
प नाय तकरार

सियारे सिज सोख
संउ टूंको प्यो लगे,
डोख लगे कर खणी
उभो वे वणजार

माडुयेंजो जीयण त
इंज हलधो हलेतो,
कडेंक इ घरमें वे
कडेंक इ घरनुं बार

सुख सिपरी संउ
इ मिठो लगे प्यो
डुख कुंभारजाजो डेप्यो
कीं अणसार

फुलते मांक विठीवे
एडा थइने रोजा
‘धुफारी’चे आंजो
धन थींधो अवतार.