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असीं कच्छी अईयुं ! जियॅ कच्छ !

कच्छी गीत “असीं कच्छी अईयुं”
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असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं

केर अयॉ असांके पोछॉता,
केर अयॉ असांके पोछॉता,
हरी असीं कच्छी अईयूँ इअं चोंता,
हरी असीं कच्छी अईयूँ इअं चों ता,

कच्छडेमें ही शरीर बन्धांणु,
हेन भूमि जो ऋणी गणांणु,
ऑपकर असीं न भोलूंता रे…ऐ ऐ (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ … केर अयॉ

देशप्रेम के धेलडे में धरियुं,
यथाशक्ति सेवा असीं करियुं,
कछड़ेला ज जीयुंता रे…हो हो (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ , केर अयॉ..

कच्छजे मेंट्टीजी ही आय खुमारी,
कइक मंजलुं पार करेजी आय तैयारी,
भले खबर पॅ ही धोनीया के..रे रे (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ , केर अयॉ..

हर कम धंधे के असीं रसायो,
मोड्स अयुं एडो ठसायो,
केन कम में पण पाछा न पोंता …हो हो (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ … केर अयॉ

कच्छी दोख में सदा खेल्या अईं
संस्कार ही घुडीये में मेल्या अईं
कच्छ जी कच्छीयत नेभाय रखबो…हो हो (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ … केर अयॉ

देश छड़े परदेश असीं व्या,
ओत पण मोड़साई से असीं रेया,
केन्जो पण ध्रा न रखूंता रे.. ऐ ऐ (2)
कच्छी अईयूँ,कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ … केर अयॉ

असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं

जियॅ कच्छ !

लेखक : સંદીપ પ્રાગજી ખણીયા  (संदीप प्रागजी खाणिया)

नारी

नारी वगर जो नर सुनो ।।
नर वगर जी नारी सुनी ।।
घर मे भरे ई पाणी ।।
तोय ईज घरजी राणी ।।
खाधो पीधो ई खाराय ।।
सेवा करे सजे धरजी ।।
माईत्रें के अचे छडी ।।
पारके के पंढजा करे ।।
तोय पा अनजो अपमान करयुं ।।
थीये कजीयो त ।।
चोप चाप वे ई सोणी ।।
नारी ऊमंग जी खाण ।।
सजॅन ईज नारी जो सणगार ।।
हाणे ता करयो अनजो सनमान ।।

रुपीयें जी रामायण

रुपीयें जी रामायण
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रुपीये जी माया में,
माडु आय फसायो……
रुपीयें पोठीयां माडु,
थ्यो आय रधवायो…….

रुपीयें लां करे माडु,
नीति के आय भुलेयो……
रुपीयें लां करे माडु,
खोटे धंधे में आय फसायो…

धोड -धक करें तोय ,
न मेले नवडां……
नवडा मेलायेलां ,
उधां – सुधां करे गतकडां…..

डोलर आय उचों ने,
रुपीयो आय नीचों……
ईन में माडु जो ,
कीं भराजे खींचो…….

उधार खणी ने प माडु,
करे खोटा धंधा……
पोय ईन में माडु जा ,
कीं अचे संधा……

रुपीयें जी लालच में,
माडु करे मथामण……
रुपीया खटेलां थीये,
माडु कीं जो कीं हेराण……

खरेखर आय ई ,
“रुपीयें जी रामायण”,
से जींदगी भर खोटेवारी,
नांय ई “रुपीयें जी रामायण”.

Reference : Whatsapp msg

कच्छी प्रवचन. Kachchhi Pravachan

Kachchhi SMS

Kachchhi ji Jabaan
Meethi .. Jalebi Jedi,
Kachchhi Jo Gusso
Garam.. Fulke Jedo,
Kachchhi Jo Dhil
Naram…Ice Cream Jedo,
Kachcchi Jo Saath
Chatpato.. Keri Gundhe je Athane Jedo
Kachcchi jo confidence
Kadak .. Khakre Jedo
Kachchhi Jo Swabhav
Milansar.. Daal Dhokri Jedo

Moral : Kachcchi Saathe Ronda Tah Kade Bhokya Nai Royo 🙂

Prem Ve na Ve
Pa Nafrat na rakhja
Malejo thiye na thiye
Sambhandh Jadvi Rakhja
Dukh ve n ve
Dilaso dhil thi dija
Call Thiye na thiye
Pa SMS jaroor Karija 🙂 🙂

प्लास्टिक

जबले में दूध मिले, जबले में चाय..
जबले में घारु मिले, जबले में छाय..
जबले में साकभाजी, जबले में गांठीया..
जबले में ‘रोटी’ मिले, भेरा चटणीने भजीया..
रंज को आड़े नतो, खें अॅठ भेरा जभला..
पोय रिबाई मरें, पांजा जीव अबोला..
हटमें प्लास्टिक, प्लास्टिक होटल में…
पाणीजी पाऊच मिलें, पाणी मिले बोटल में..
वेफर प्लास्टिक में, प्लास्टिकमें बिसकीट..
भजर-चुन भेरा, गुटकेला ई ज प्लास्टिक..
निसाणमें प्लास्टिक, मिंधर में प्लास्टिक..
बगीचे में प्लास्टिक, जाडी-जांखरे में प्लास्टिक..
घरमें प्लास्टिक, घर बारां प्लास्टिक
जित डिसॉ- जडें डिसॉ, प्लास्टिक – प्लास्टिक..
हाव-भाव प्लास्टिकजा, प्लास्टिकजी वाणीं..
खिल खोटी प्लास्टिकजी, ‘दास’ माडु कंईयें जाणीं…
: पी. जी. सोनी ‘दास’

पंज महत्वजा कार्य पांजे कच्छ ला

पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.

१. चोवी कलाक जो कच्छी टी.वी.चेनल
अज जे आधुनिक काल में जमाने भेरो हले जी जरूर आय. अज मडे टी.वी. ने ईंटरनेट सुधी पोजी व्यो आय. हॅडे मे पांजा कच्छी माडु कच्छी भासा मे संस्कृति दर्सन, भजन, मनोरंजन, हेल्थ जी जानकारी ने ब्यो घणें मडे नेरेला मगेंता ही सॉ टका सची गाल आय. हेनजे अभाव में पांजा छोकरा ने युवक पिंढजी ऑडखाण के पूरी रीते समजी सकें नता. खास करेने जे कच्छ जे बार रेंता हु कच्छी भासा ने संस्कृति थी अजाण थींधा वनेंता.
कच्छी टी.वी.चेनल ते चॉवी कलाक कच्छी भासा में अलग अलग जात जा प्रोग्राम जॅडीते न्यूज, सीरीयल, हास्य कलाकार, खेतीवाडी जा सवाल जवाब, भजन, योगा,….नॅरेला मलें त कच्छी माडु धोनिया में केडा प हुअें कच्छ हनींजे धिल जे नजीक रॅ ने कच्छ प्रत्ये ने कच्छी भासा प्रत्ये गर्व वधॅ. भेगो भेगो पिंढजी ऑडखाण मजबुत थियॅ. ही कार्य मिणींया महत्वजो आय.
२. स्कूल में १ थी १० सुधी कच्छी भासा जो अभ्यास
अज कच्छ जे स्कूल में बो भासाएँ में सखायमें अचॅतो गुजराती ने ईंग्लीस. कच्छी भासा जे पांजी मातृभाषा आय ने घणे विकसित आय ही हकडी प स्कूल नाय जेडा १ थी १० धोरण सुधी सखायमें अचींधी हुए. कच्छी भासा जे उपयोग के वधारे में अचॅ त ही कच्छीयें ला करे सारी गाल आय ने स्कूल में सखायमें अचे त हनथी सारो कोरो. भोज, गांधीघाम जॅडे सहेरें में जेडा बई कम्युनीटी ( गुजराती,सींधी,हींदीभाषी,….) जा माडु प रेंता होडा ओप्सनल कोर्स तरीके रखेमें अची सगॅतो. १ थी १० क्लास सुधीजो अभ्यासक्रम पांजा कवि, साहित्यकार ने शिक्षक मलीने लखें त हेनके स्कूल में सखायला कच्छी प्रजा मजबूत मांग करे सगॅती. जॅडीते गुजरात, महाराष्ट्र,…. मे मातृभासा जो अभ्यासक्रम त हुऍतोज.

(more…)

टीपो

कॅरक वॅलो , कॅरक छॅलो,
कॅरक मॅलो, कॅरक धूचॅलो,
कॅरक धुरीयो, कॅरक नाय,
कॅरक ऊनी वाय ,
कॅरक मानसरोवर,
कॅरक हल्यो हरोहर,
कॅरक मॅरामण में,
कॅरक मांक रिण में.
कॅरक घा तें विठो,
कॅरक ध्रोड़ंधो जरणुं डिठो.
कॅरक ऊछर्यो,
कॅरक पथर्यो,
कॅरक वर्यो , नें तारे नें तर्यो,
कॅरक सिरी व्यो,
खुबो भलें नं हो भर्यो,
कित कितरा पंध,
वडरजी साधर,
कॅरक सुतो, भनीनें चाधर,
हिकड़ो टीपो पाणी,
टीपो पिंढ वडी आखाणी
: कवि गुलाब देढीया

कच्छी चोवक : संप तित सणियात

जित संप आय तित सणियात आय ईन चोवकजी वारता न्यारीयुं. हिकडे़ पे जा चार पुतर हुवा .
कडेंक संपसे रोंधा हुवा त कडेंक , कारीयारो करींधा हुवा ईनीजें पे के ही खबर हुई ईतरे ईनींके हिन गालजी चिंधा थींधी हुई. पे जी छेल्ली मांधाई हुई तडें ईनींके हाणे लगोज मुंके हिकड़ी गाल छोकरें के समजाई डिणीं खपे. ईनीं चारोंय छोकरें के बोलायों ने च्यों हिकड़ी सनी लठ्ठ खणी अचो.
  छोकरा तेरंई हिकड़ी सनी लठ्ठ खणी आया.अधा च्यों ईनके तोडे़ विजो छोकरा तेरंई लठ्ठ के तोडे़ विधों.पोय अधा च्यों हाणे डॉ लठ्ठीयुं खणी अचो ने भेरीयुं करे ने बध्यो. छोकरा डॉ लठ्ठीयुं खणी आयाने  बध्यों. पोय अधा ईंनींके च्यों हाणे हिन के तोड़यो. छोकरा हिकडे़ बी सामुं न्यारण लगा.हिकडो़ छोकरो पे के चें अधा ही तां भेरीयुं अंई ईतरे न टुटें.
  हाणे अधा च्यों हिकड़ी सनी लठ्ठ तां अंई तेरंई तोडे़ सग्या पण ही मिडे़ भेरी लठ्ठीयुं टूटी सगें ईं नईं. ईन रीतें ज आंई चारोय भा संप सला सें रोंधा त आंई सुखसें रई सगधां कोय आंजो वार पण विंगो नई करे सगे पण ज छूटा थ्या ने आं विच्च कुसंप थ्यो त आंई मिडे़ विखो विखोथी वेंधा मुंजी गाल समज्या ? छोकरा ही गाल समज्या ने पिंढजे अधा के वचन डिनों ने च्यों असीं संपसें रोंधासीं आंके चिंधा करेजी जरुर नांय.
  छोकरेंजी गाल सुणी ईनींजे अधाजे आतमा के शांति थई.
कच्छी में चोवक जो अर्थ: लेखक अरविंद डी.राजगोर

Photographic Reminiscence of Krantiguru Pandit Shyamaji Krishnavarma

Great revolutionary Indian freedom fighter Pandit Shyamaji Krishnavarma contributed immensely to Indias Freedom movement through his revolutionary concept of non cooperation and establishment of Indian Home Rule Society. Panditji birthplace and home town is Madai(Mandvi),Kachchh. Through this book the Author Hemantkumar Gajanan Padhya has fulfilled his dream project of sincere tribute to the Great Freedom Fighter. The book has been launched today on www.Pothi.com an Indian publishers bookstore website .
Book Introduction
This is a photographic biography in tribute to the great revolutionary Indian freedom fighter, Pandit Shyamaji Krishnavarma. He began India’s Freedom movement in London, twenty years before Gandhiji entered into the arena of Indian Freedom movement. (more…)