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सुभ डीयारी | डीयारी जी मिणीके जिज्यूं जिज्यूं वधाईंयू
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डीयारी आवई वला डीयारी मनायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी डीयारी मनायूं
हींये उमंग भरी हुंभसे पिरभ मनायूं…(२)
फटाकें जी तडाफडी…अंगण रंगोडी सजायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी….
जगमगाट डिसजे रंगबीरंगी बतीयूं…(२)
कंढील लगाई…डीये जी जोत जगायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी…..
मेवा मिठाई वला नित नवी वानीयूं…(२)
जिलेभीने फाफडेजी…मिजभानी उडायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी…..
धन ने लखमी जा वडा पूजन करायूं…(२)
खिली खिलाई वसंत…डीयारी मनायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी…
– वसंत मारू…चीआसर
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डीयारी जी मिणीके जिज्यूं जिज्यूं वधाईंयू
नॅ वरेज्यूं शुभेच्छाऊं
कच्छ अलग राज्य भनायला आह्वान
मिणींके कच्छी भासा मेज बोलेजी अरज आय.
जय कच्छ !
पंज महत्वजा कार्य पांजे कच्छ ला
पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.
अज जे आधुनिक काल में जमाने भेरो हले जी जरूर आय. अज मडे टी.वी. ने ईंटरनेट सुधी पोजी व्यो आय. हॅडे मे पांजा कच्छी माडु कच्छी भासा मे संस्कृति दर्सन, भजन, मनोरंजन, हेल्थ जी जानकारी ने ब्यो घणें मडे नेरेला मगेंता ही सॉ टका सची गाल आय. हेनजे अभाव में पांजा छोकरा ने युवक पिंढजी ऑडखाण के पूरी रीते समजी सकें नता. खास करेने जे कच्छ जे बार रेंता हु कच्छी भासा ने संस्कृति थी अजाण थींधा वनेंता.
अज कच्छ जे स्कूल में बो भासाएँ में सखायमें अचॅतो गुजराती ने ईंग्लीस. कच्छी भासा जे पांजी मातृभाषा आय ने घणे विकसित आय ही हकडी प स्कूल नाय जेडा १ थी १० धोरण सुधी सखायमें अचींधी हुए. कच्छी भासा जे उपयोग के वधारे में अचॅ त ही कच्छीयें ला करे सारी गाल आय ने स्कूल में सखायमें अचे त हनथी सारो कोरो. भोज, गांधीघाम जॅडे सहेरें में जेडा बई कम्युनीटी ( गुजराती,सींधी,हींदीभाषी,….) जा माडु प रेंता होडा ओप्सनल कोर्स तरीके रखेमें अची सगॅतो. १ थी १० क्लास सुधीजो अभ्यासक्रम पांजा कवि, साहित्यकार ने शिक्षक मलीने लखें त हेनके स्कूल में सखायला कच्छी प्रजा मजबूत मांग करे सगॅती. जॅडीते गुजरात, महाराष्ट्र,…. मे मातृभासा जो अभ्यासक्रम त हुऍतोज.
कच्छ रण उत्सव २०१२ ने सफेद रण जा फोटो
Kutch Rann Utsav 2009!
कच्च्छ झि पंज हज़ार वरें झि संस्कृति झो दर्शन एटले कच्छ रंण उत्सव १, २ , ३ डिसेंबर झो आयोजान के में आयो .
वधू डीटेल्स ला करे :
http://www.rannutsav.in/
Birds of Kachchh(Kutch)
Kachchh(Kutch) mein gadein madey alag jhat jha pakshi aein . Maliney 370 jhat jha pakshi kachch mein malentah.
Kutch by Road ! An Exciting Drive Through the Native Culture and Traditions
Why Kutch? people asked me.
Why not Kutch I said. I am glad I did.
Kutch is synonymous with parched land and destruction due to the earthquakes. On closer look you realize that it is a living museum – a riot of colours, where stitches weave into exquisite embroidery and a lot more.
Google Kutch, specifically Bhuj, and the results would be both brief and unreliable. Luckily for us, one of our friends had a skeletal itinerary from their trip. Taking that as a guide, we headed out to explore this last frontier in our five-day road trip.
Reaching there
We drove down to Bhuj from Jamnagar, stopping at a pure vegetarian hotel for a piping hot lunch of typical Gujarati fare. The 8-hour drive is brightened by several bridges, water bodies, windmills, thorn bushes and nomads. Bhuj is the largest city in Kutch and is well connected to major Indian cities by railways. The closest airport is Jamnagar airport which has daily flights to Mumbai.
(more…)
Welcome !
Kein Aayo ! Welcome all Kutchis (Kachchhis, Kachhis) to Kutchi Maadu , where you are free to discuss, Blog your thoughts and share information on any topic you choose.
Jai Kachchh !
Jai Ashapura Mataji !
Jay
KutchiMaadu Team