ईस्वरके भज प्रॅम सें, आय जग़जो आधार;
गुण तेंजा संभारीयों, सुखी कंधल संसार – १
गुण तेंजा संभारीयों, सुखी कंधल संसार – १
कर रक्षम प्रभु हेत सें , धिल-ज असांजो साफ;
भोल असीं करीयों कडें, से हरी कर तं माफ – २
श्री कच्छी लिपि लिखणसें , कच्छीअेंजो कल्याण ;
पोथी तें कारण लिखां, लिपिके डीजा मान – ३
: ठक्कर नारायणजी तुलसीदास जोबनपुत्र