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ब जण के खपॅ कतरो
धी के जमाइ कोठे व्या
पुतर के वहु पाढे वइ
हाणें ता पां ब ज रया.
हकडो छापो दुध जी थेली
रोज नंढी मटुकडी
पाणी जजो थइ प्यो.
चा ने खंड जा डाबला
मड खाली थीए.
कोलगेट\\मसरी डेढ मेणो हलॅ
एंशी ग्राम जी लक्स गोटी मेंणो हलॅ.
जमें में शाक वे
त दाळ न वे तोय हलॅ
रोगी दाळ वे तोय भयोभयो.
ब डीं ये खचडी ने छाय
सो कोबी, पा दुधी
अढीसो भींढा
लींबो-कोथमरी
हप्ते जो शाग
बाचको धउं, पंज कीला चोखा, कीलो तेल
गोंध थे प्यो राशन.
नंढा टोपला-छीबा ने वाटका
ब थाळी अठ डो वासण
हकडा कीलो विम पावडर
महिनो न खुटे.
खोपरे जी शीशी
पफ-पाउढर-टीला आंनण
फक्का थचा
प्रेम-लागणी ड्यो
हतरा ओछा
खल-मस्ती मोज मजा मेळावा खपें ज वठ्ठा लगे मठ्ठा
धी-जमाइ, पुतर-वउ
कडेंक अचें
पोतरा-पोतरी, दोयतरा-दोयतरी अचें
पसली, नवो वरे, वीया-वधाणां
ब-चार डीं
ने पोय उडी वने
अचीजा बईआर मलबो
पल में पाछा
बे जण
पोय यादुं, रटण ने जुनी गाल चोसार्युं!
ब जण के खपॅ कतरो
धी के जमाइ कोठे व्या
पुतर के वहु पाढे वइ
हाणें ता पां ब ज रया.
ब जण के खपॅ कतरो
ही ज सत्य आय
स्वीकार्यो ने माॅज से रोयॉ
: लहेर