जित संप आय तित सणियात आय ईन चोवकजी वारता न्यारीयुं. हिकडे़ पे जा चार पुतर हुवा .
कडेंक संपसे रोंधा हुवा त कडेंक , कारीयारो करींधा हुवा ईनीजें पे के ही खबर हुई ईतरे ईनींके हिन गालजी चिंधा थींधी हुई. पे जी छेल्ली मांधाई हुई तडें ईनींके हाणे लगोज मुंके हिकड़ी गाल छोकरें के समजाई डिणीं खपे. ईनीं चारोंय छोकरें के बोलायों ने च्यों हिकड़ी सनी लठ्ठ खणी अचो.
छोकरा तेरंई हिकड़ी सनी लठ्ठ खणी आया.अधा च्यों ईनके तोडे़ विजो छोकरा तेरंई लठ्ठ के तोडे़ विधों.पोय अधा च्यों हाणे डॉ लठ्ठीयुं खणी अचो ने भेरीयुं करे ने बध्यो. छोकरा डॉ लठ्ठीयुं खणी आयाने बध्यों. पोय अधा ईंनींके च्यों हाणे हिन के तोड़यो. छोकरा हिकडे़ बी सामुं न्यारण लगा.हिकडो़ छोकरो पे के चें अधा ही तां भेरीयुं अंई ईतरे न टुटें.
हाणे अधा च्यों हिकड़ी सनी लठ्ठ तां अंई तेरंई तोडे़ सग्या पण ही मिडे़ भेरी लठ्ठीयुं टूटी सगें ईं नईं. ईन रीतें ज आंई चारोय भा संप सला सें रोंधा त आंई सुखसें रई सगधां कोय आंजो वार पण विंगो नई करे सगे पण ज छूटा थ्या ने आं विच्च कुसंप थ्यो त आंई मिडे़ विखो विखोथी वेंधा मुंजी गाल समज्या ? छोकरा ही गाल समज्या ने पिंढजे अधा के वचन डिनों ने च्यों असीं संपसें रोंधासीं आंके चिंधा करेजी जरुर नांय.
छोकरेंजी गाल सुणी ईनींजे अधाजे आतमा के शांति थई.
कच्छी में चोवक जो अर्थ: लेखक अरविंद डी.राजगोर