कच्छी मिठाइयुं
***********
***********
थारीयुं मंढीयुं अंइ, परस्या अंइ पकवान
मुलाजो जरा म करीजा , खेजा वठा मनोमन…
कंठी वागड अभडासे जा, पेडा अंइ नामी
सोनपापडी आय सुंवाली , कींय कढजा म खामी…
साटा ने गगन सोभे ,गुलाटी वारी जलेभी
खन जा कपडा पॅरी , मिठी लगेती बुंधी…
गुलाभजांभु ने रसगुल्ला,चासणी में डुबेला
मोनथार ने गेवर , गी से लचबच लचेला….
चोटीया ने मोधक मगडरीया अंइ वरेला
फिणीया ने गुडीया मट अंइ
सजा भरेला….
तलपींढो ने तलसाखडी , जुआरे में चडेंता
पगे लगो कुलदेवी के , पांके परसाध मलेंता…
भुंसेली बाजरजी मानी, कुलर जा फक भरियेता
वांची अंइ थीजा राजी, आंग्या “कांत” थार धरियेंता…..