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** कच्छी मिठाइयुं **

कच्छी मिठाइयुं
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थारीयुं मंढीयुं अंइ, परस्या अंइ पकवान
मुलाजो जरा म करीजा , खेजा वठा मनोमन…

कंठी वागड अभडासे जा, पेडा अंइ नामी
सोनपापडी आय सुंवाली , कींय कढजा म खामी…

साटा ने गगन सोभे ,गुलाटी वारी जलेभी
खन जा कपडा पॅरी , मिठी लगेती बुंधी…

गुलाभजांभु ने रसगुल्ला,चासणी में डुबेला
मोनथार ने गेवर , गी से लचबच लचेला….

चोटीया ने मोधक मगडरीया अंइ वरेला
फिणीया ने गुडीया मट अंइ
सजा भरेला….

तलपींढो ने तलसाखडी , जुआरे में चडेंता
पगे लगो कुलदेवी के , पांके परसाध मलेंता…

भुंसेली बाजरजी मानी, कुलर जा फक भरियेता
वांची अंइ थीजा राजी, आंग्या “कांत” थार धरियेंता…..

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