निंढडी़ ऊ निसाड़ पाछी वारे ड़े ! पांजी ऊ अगाड़ पाछी वारे ड़े !
मिठा मिठा मीं पाछा वारे ड़े ! ऊ निंढपण जा ड़ी पाछा वारे ड़े !
मिठा मिठा मीं पाछा वारे ड़े ! ऊ निंढपण जा ड़ी पाछा वारे ड़े !
: जयेस भानुसाली “जयु”
Posted in: Kutchi Kavita,Chovak,Sahitya (Poetry, Quotes, Literature).
© 2024 Kutchi Maadu